Saharanpur Police Exam- सहारनपुर जनपद इन दिनों पुलिस विभाग की एक अनोखी पहल को लेकर सुर्खियों में है। पुलिस विभाग द्वारा 14 सितंबर 2025 को कराई गई परीक्षा ने अब खुद पुलिस महकमे के भीतर सवाल खड़े कर दिए हैं। कानून व्यवस्था सुधारने और अधिकारियों के ज्ञान की परख के उद्देश्य से हुई इस परीक्षा को पारदर्शी बताया गया था, लेकिन 15 दिन से अधिक समय बीत जाने के बाद भी न तो किसी अधिकारी को प्रमोशन मिला है और न ही नई जिम्मेदारी, जिससे अब इस पहल की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।
Saharanpur Police Exam- परीक्षा का उद्देश्य
14 सितंबर को पुलिस लाइन में हुई इस परीक्षा में जिलेभर से 114 दारोगा और इंस्पेक्टर शामिल हुए, परीक्षा में भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023, साइबर अपराध और एनडीपीएस अधिनियम जैसे नए कानूनों पर सवाल पूछे गए।
15 सितंबर को नतीजे भी घोषित कर दिए गए, एसएसपी तिवारी ने कहा था कि यह पहल केवल उन्हीं अधिकारियों को जिम्मेदारी देने के लिए है जो नए कानूनों की गहरी समझ रखते हैं।

नतीजे के बाद भी नियुक्ति क्यों नहीं?
परीक्षा को अब दो सप्ताह से अधिक हो चुके हैं, लेकिन सफल अधिकारियों को न तो नई पोस्टिंग दी गई और न ही कोई आधिकारिक घोषणा हुई, इससे पुलिस विभाग में चर्चा तेज हो गई है कि क्या यह परीक्षा सिर्फ़ एक औपचारिकता थी या फिर विभाग की “इमेज बिल्डिंग” की कवायद? कई अधिकारियों का कहना है कि अगर इस परीक्षा का कोई ठोस परिणाम नहीं निकलना था, तो इतनी बड़ी कवायद करने की जरूरत ही क्या थी?
Saharanpur Police Exam- क्या यह सुधार या सिर्फ़ प्रचार?
Saharanpur Police Exam- पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस तरह की परीक्षा पहली बार कराई गई थी और इसे मीडिया में खूब सराहा गया। इसे पुलिस सुधार की दिशा में बड़ा कदम बताया गया लेकिन अब जब परीक्षा पास करने वालों को कोई फायदा नहीं मिला, तो सवाल उठ रहा है कि यह कदम सुधार से ज़्यादा पब्लिसिटी स्टंट तो नहीं था?
अगर वास्तव में सुधार का इरादा था, तो योग्य अधिकारियों को पद और जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी।
संभावना है कि प्रक्रिया में देरी हो और जल्द ही नई नियुक्तियां की जाएं लेकिन 15 दिन से जारी चुप्पी और किसी भी आधिकारिक बयान का अभाव विभाग की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है।
जनता और पुलिस महकमे की निगाहें अब पुलिस विभाग पर हैं अगर जल्द नियुक्तियां नहीं हुईं, तो यह परीक्षा केवल एक “प्रदर्शन” बनकर रह जाएगी।