Ganga River Mystery- धर्मनगरी हरिद्वार में गंगनहर की वार्षिक बंदी के साथ ही गंगा की गोद में ‘निआरिया’ समाज के हजारों लोग उतर पड़े। दशहरे की रात धारा बंद होते ही परिवारों ने सिक्के, सोने-चांदी के गहने और रोजमर्रा का सामान तलाशना शुरू कर दिया। कई को पुराने कपड़े और छोटे आभूषण मिले, तो कुछ को लोहे का बड़ा सामान, यहां तक कि रसोई गैस सिलिंडर और फ्रीज तक गंगा की रेत से निकले।
हरकी पैड़ी से लेकर दूर-दूर तक घाटों पर भीड़ उमड़ी रही, बुजुर्ग रमावती देवी ने बताया कि पहले अधिक मूल्यवान वस्तुएं मिलती थीं, पर अब लोग गंगा में चढ़ावा चढ़ाने की बजाय अन्यत्र दान करने लगे हैं। फिर भी सिक्के और छोटे आभूषण अब भी मिल रहे हैं।
स्थानीय लोग बताते हैं कि तेज बारिश और पहाड़ों में आई आपदाओं के बाद कई घरों का सामान गंगा की धारा में बहकर यहां पहुंचा। इसी दौरान गंगा तट पर ब्रिटिश काल की पुरानी रेलवे लाइन भी दिखी, जो हर बार चर्चा का विषय बनती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि तेज बहाव और बजरी-पत्थरों के कारण लाइन को काफी नुकसान पहुंचा है।
Ganga River Mystery- यह रेलवे लाइन अंग्रेजों के समय नहर और बैराज निर्माण के लिए सामग्री ढोने हेतु बिछाई गई थी। तीन से चार बोगियों की छोटी ट्रेन से निर्माण सामग्री हरकी पैड़ी और रुड़की तक लाई जाती थी। आज भी इसके अवशेष मौजूद हैं, जो इतिहास और गंगा की धारा दोनों की गवाही देते हैं।