Sheetakaaleen Chardham Yatra- उत्तराखंड के चार धामा के दर्शन अब श्रद्धालु शीतकाल में भी कर सकेंगे,। इसके लिए उत्तराखंड सरकार तमामव्यवस्थाएं कर रखी हैं, रविवार को शीतकालीन यात्रा का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद किया।
मुख्यमंत्री ने उखीमठ में शीतकालीन यात्रा का शुभारंभ करते हुए, प्रशासन की ओर से यात्रा के लिए की गई विभिन्न व्यवस्थाओं का स्थलीय निरीक्षण भी किया, इस अवसर पर उन्होंने अधिकारियों को शीतकालीन यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम बनाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में शीतकालीन यात्रा के शुभारंभ से देवभूमि का तीर्थाटन और पर्यटन और भी सशक्त होगा, इससे न केवल वर्षभर पर्यटकों का आगमन बढ़ेगा, बल्कि यहां के अनेक पर्यटन स्थल भी प्रचलित होंगे।
Sheetakaaleen Chardham Yatra- शीतकालीन यात्रा को लेकर श्रद्धालु, तीर्थ पुरोहित और व्यवसायी खुश
शीतकालीन यात्रा को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है, जहां तीर्थ पुरोहित इसे एक अच्छा प्रयास सरकार का मान रहे हैं तो वहीं उनका ये भी कहना है कि साल भर की यात्रा शुरू होने से समस्त श्रद्धालुओं को चारों धामों में दर्शनों के अवसर प्राप्त होंगे, शीतकालीन यात्रा शुरू होने से जहां श्रद्धालुओं में खासा उत्साह दिख रहा है तो वहीं स्थानीय लोग भी बेहद खुश हैं, शीतकालीन यात्रा के पहले दिन ही काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचे।
Sheetakaaleen Chardham Yatra- शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने शुरू की थी पहल
हाल ही में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शीतकाल चारधाम यात्रा के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था, जिसके बदरी केदार मंदिर समिति और सरकार ने भी शीतकालीन यात्रा को लेकर गंभीरता दिखाई जबकि, साल 2023 में पहली बार शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने ही शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू की थी।
Sheetakaaleen Chardham Yatra- शीतकाल में यहां करें चारों धामों के देवों के दर्शन
बता दें कि शीतकाल में उत्तरकाशी के खरसाली गांव में मां यमुना की पूजा होती है जबकि, उत्तरकाशी जिले में ही भागीरथी नदी के किनारे बसे मुखबा गांव में मां गंगा की पूजा अर्चना की जाती है, इसी तरह रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की शीतकालीन पूजा होती है और वही, चमोली के ज्योतिर्मठ के नृसिंह मंदिर में आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी की पूजा होती है तो उद्धव और कुबेर की पांडुकेश्वर में पूजा की जाती है।
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