Vijay Diwas 2024- 25 वर्ष पूर्व कारगिल में भारतीय सेना ने दुश्मनों के खिलाफ ऑपरेशन विजय चलाया था, उस ऑपरेशन में मुरादनगर क्षेत्र के सुराना गांव के सुरेंद्र भी दुश्मनों से लोहा ले रहे थे, मात्र 22 वर्ष की आयु में देश के लिए गोली खाकर सुरेंद्र कुमार ने शौर्य की ऐसी कहानी लिखी थी, जिसे आज भी सुराना गांव के लोग गर्व के साथ याद करते हैं और अपने बच्चों को सुनाते हैं।
सुराना के निवासी टेकराम व चंपावती के चार बेटों में सुरेंद्र दूसरे नंबर थे जो वर्ष 1997 में फौज में भर्ती हुए थे, आपरेशन विजय के दौरान सुरेंद्र कारगिल के द्रास सैक्टर में 5,140 पोस्ट पर तैनात थे, एक जुलाई 1999 को दुश्मनों से लोहा लेने के दौरान सुरेंद्र अपना बलिदान दिया था।
गांव के लोग बताते हैं कि जिस समय बलिदानी सुरेंद्र का पार्थिव गांव पहुंचा था तो सुराना व आसपास के कई गांव के लोग उनको कंधा देने के लिए उमड़ पड़े थे।
Vijay Diwas 2024- आज भी गांव के लोग करते हैं याद
Vijay Diwas 2024- बलिदानी सुरेंद्र के भाई नरेंद्र का कहना है कि उनको भाई खोने का दुख तो है लेकिन भाई ने जो गौरव पूरे परिवार को दिया वह अनमोल है, आज उनके परिवार को गांव में विशेष सम्मान से देखा जाता है।
उनकी माता चंपावती देवी को बहुत से सरकारी कार्यक्रमों में विशेष अतिथि के तौर पर बुलाया जाता था, इसके अलावा सरकार की ओर से भी उनके परिवार को पेट्रोल पंप व नौकरी आदि दी गई।
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