Uttarakhand Panchayat Chunav- भाजपा की जीत के बीच ‘परिवारवाद’ की हार!

Uttarakhand Panchayat Chunav- उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भाजपा ने तो ऐतिहासिक जीत दर्ज की, लेकिन पार्टी के दिग्गज नेताओं के परिजनों को मतदाताओं ने सिरे से खारिज कर दिया। जनता ने साफ संदेश दिया है रिश्तों के नाम पर राजनीति नहीं चलेगी।

भाजपा ने इस चुनाव में कई नेताओं के बेटा, बहू और पत्नी को मैदान में उतारा, लेकिन ज़्यादातर को करारी हार का सामना करना पड़ा, नैनीताल से विधायक सरिता आर्या के बेटे रोहित आर्या, सल्ट विधायक महेश जीना के बेटे करन, बदरीनाथ के पूर्व विधायक राजेंद्र भंडारी की पत्नी रजनी, लोहाघाट के पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल की बेटी, लैंसडोन विधायक दिलीप रावत की पत्नी और भाजपा नेता राम सिंह कैड़ा की बहू सभी को जनता ने नकार दिया।

यह विरोधाभास तब और गहरा हो गया जब भाजपा ने लगातार कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाया, लेकिन खुद उसी रास्ते पर चलते हुए मात खा गई। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि भाजपा ने परिजनों के बजाय ज़मीनी और मज़बूत उम्मीदवारों को उतारा होता, तो नतीजे और भी बेहतर हो सकते थे।

हालांकि कुल मिलाकर भाजपा को इस बार 216 सीटें मिली हैं (हरिद्वार को छोड़कर), जबकि 2019 में यह संख्या 200 थी जिसमें हरिद्वार की सीटें शामिल थीं। अगर हरिद्वार की 44 सीटें भी जोड़ दी जाएं तो भाजपा का आंकड़ा 260 पर पहुँचता है — जो अब तक की सबसे बड़ी पंचायत जीत मानी जा रही है।

Uttarakhand Panchayat Chunav- प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार की सबसे बड़ी पंचायत सफलता बताया और कहा कि सभी जिलों में भाजपा का बोर्ड बनने जा रहा है।

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