Uttarakhand Bugyals- हिमालय के बुग्यालों पर संकट, पर्यटन और प्लास्टिक ने बिगाड़ा संतुलन

Uttarakhand Bugyals- उत्तराखंड के ऊंचे हिमालयी इलाकों में फैले मखमली घास से ढके बुग्याल, जो कभी अपनी स्वच्छता, प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध थे, अब संकट के दौर से गुजर रहे हैं। बढ़ते पर्यटक दबाव और जलवायु परिवर्तन ने इन बुग्यालों की पारिस्थितिकी पर गहरा असर डाला है। वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि यदि तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो हिमालयी पारिस्थितिकी और औषधीय वनस्पतियां गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं।

Uttarakhand Bugyals- क्या हैं बुग्याल?

बुग्याल हिमालय के उन उच्च पर्वतीय घास के मैदानों को कहा जाता है जहां पेड़ों की रेखा समाप्त हो जाती है, उत्तराखंड के ये बुग्याल औषधीय पौधों और घास की विशेष प्रजातियों के कारण जैव विविधता का महत्वपूर्ण केंद्र हैं। ये न केवल प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक हैं बल्कि हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ भी हैं।

तुंगनाथ और चंद्रशिला जैसे लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थलों पर पर्यटक बड़ी मात्रा में प्लास्टिक कचरा छोड़ रहे हैं, जिससे बुग्यालों की हरियाली और वहां के जीव-जंतुओं पर खतरा मंडरा रहा है। वन विभाग की निगरानी के बावजूद पर्यटक शॉर्टकट रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे घास की परतें नष्ट हो रही हैं और मिट्टी का क्षरण बढ़ रहा है।

Uttarakhand Bugyals- गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. आर.के. मैखुरी के अनुसार, हिमालयी क्षेत्रों में ट्रेकिंग के लिए कोई ठोस नीति नहीं है। नेपाल जैसे देशों में पर्यावरणीय नियमों और सीमित प्रवेश प्रणाली के कारण प्राकृतिक संतुलन सुरक्षित है, जबकि उत्तराखंड में नियंत्रण की कमी से बुग्यालों का क्षरण तेजी से हो रहा है।

उन्होंने बताया कि पहले भेड़-बकरी पालक चरवाहे इन बुग्यालों की निगरानी करते थे, जिससे अवैध दोहन पर रोक रहती थी। लेकिन अब उनकी संख्या आधी रह गई है, जिससे नीति और पिथौरागढ़ जैसे इलाकों में मिट्टी के कटाव की समस्या बढ़ गई है।

रुद्रप्रयाग जिले का चोपता–तुंगनाथ ट्रेक रूट बुग्यालों की सबसे खराब स्थिति दर्शा रहा है। जहां कभी मखमली घास और फूलों की हरियाली थी, वहां अब मिट्टी के रास्ते और प्लास्टिक का ढेर दिखता है। इससे न केवल सौंदर्य बिगड़ रहा है बल्कि जलवायु और जैव विविधता का संतुलन भी खतरे में है।

Uttarakhand Bugyals- हिमालय को बचाने की जरूरत

पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली का कहना है कि बढ़ती मानव गतिविधियां हिमालय के अस्तित्व के लिए खतरा बन रही हैं। अनियंत्रित पर्यटन, प्लास्टिक प्रदूषण और बर्फबारी में कमी ने पर्यावरणीय संकट को और गहरा कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब जरूरत है कि हर बुग्याल क्षेत्र के लिए “इकोलॉजिकल कैरिंग कैपेसिटी” तय की जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक समय में कितने पर्यटक वहां जा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *