Ukhimath Uttarakhand- केदारनाथ, मद्महेश्वर, रुद्रनाथ, तुंगनाथ और कल्पेश्वर – देवभूमि उत्तराखंड में स्थित इन पांचों स्थलों को पंच केदार के रूप में जाना जाता है।
उत्तराखंड को शिव की नगरी भी कहते हैं, एक बार प्रसंगवश जब भगवान शिव अंतर्ध्यान हुए तो उनके धड़ का ऊपरी भाग काठमांडू में प्रकट हुआ, जहां पर पशुपतिनाथ का मंदिर है, बाकी हिस्से गढ़वाल के अन्य भागों में प्रकट हुए, जिनमें केदारनाथ, मद्महेश्वर, रुद्रनाथ, तुंगनाथ और कल्पेश्वर शामिल हैं।
Ukhimath Uttarakhand- देवभूमि उत्तराखंड में स्थित इन पांचों स्थलों को पंच केदार के रूप में जाना जाता है। यह बात आपको हम यहाँ बता रहे हैं लेकिन अगर आप यात्रा पर निकलेंगे तो केदारनाथ यात्रा के दौरान रुद्रप्रयाग से तकरीबन चालीस किमी. की दूरी तय करने के पश्चात उखीमठ पहुंचने पर पुजारी और स्थानीय लोग भी यही दास्तान बताएँगे।
इसी जगह पर ओंकारेश्वर पीठ स्थित है अगर आपने उखीमठ पीठ के बारे में पहले से सुन रखा है तो आपके मन में मंदिर जाने की इच्छा ज़रूर होगी, यह वह जगह है जहां पर भगवान शिव को दिवाली के बाद केदारनाथ और दिसंबर में मद्महेश्वर से यहां लाया जाता है और छह महीने तक इसी जगह पर उनकी पूजा की जाती है, जो लोग पंच केदार नहीं जा पाते वह उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर पीठ में आकर एक साथ पंच केदार दर्शन कर सकते हैं।
Ukhimath Uttarakhand- इस जगह पर भी महादेव के दर्शन से वही पुण्य मिलता है जो अलग-अलग मंदिरों में जाने पर मिलता है। सबसे पहले ओमकारेश्वर महादेव के दर्शन कीजिये फिर पंच केदार के दर्शन। बाहर निकलने पर मंदिर के पुजारी आपको बताएँगे कि उषा (वनासुर की बेटी) और अनिरुद्ध (भगवान कृष्ण के पौत्र) का विवाह यहीं पर हुआ था जिसका मंडप आज भी मौजूद है। इसीलिए, इस स्थान को उषा मठ कहा गया था जो बाद में उखीमठ हो गया।
उखीमठ मुख्य रूप से रावलों का निवास है जो केदारनाथ के प्रमुख पुजारी हैं। यह विभिन्न धार्मिक स्थलों पर जाने के लिए एक तरह से केंद्रबिंदु है। यहीं से केदारनाथ (पहले केदार), मद्महेश्वर (दूसरे केदार), तुंगनाथ (तीसरे केदार) के लिए जाया जाता है। इस जगह पर उषा, शिव भगवान, देवी पार्वती, अनिरुद्ध और मार्तंड को समर्पित कई प्राचीन मंदिर हैं।
अगर आपके मन में पंच केदार की अवधारणा के बारे में और ज्यादा जानने की इच्छा हो तो आप जान सकेंगे कि पवित्र केदारनाथ का मंदिर पांडवों का बनाया हुआ प्राचीन मंदिर है जो कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक है। लोग केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद ही बद्रीनाथ दर्शन को जाते हैं।
पौराणिक कथा के आधार पर केदारनाथ में महिष (भैंसा) रूपी भगवान शिव के पृष्ठ भाग की शिला की पूजा की जाती है। द्वितीय केदार मद्महेश्वर में नाभि, तुंगनाथ में बाहु, रुद्रनाथ में मुख तथा कल्पेश्वर में जटा है। पांचों मंदिरों के इसी समूह को पंच केदार कहा जाता है।
इन सबके दर्शन करने के लिए चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है पर जो लोग ऊपर नहीं जा पाते वह उखीमठ में स्थित पंचकेदार दर्शन करके अपनी मनोकामना पूरी कर लेते हैं।
Ukhimath Uttarakhand- तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है तुंगनाथ मंदिर जो पंच केदारों में सबसे ऊंचाई पर है। यह मंदिर 1000 वर्ष पुराना माना जाता है। यहां पर शिव की भुजा की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि विवाह से पहले पार्वती जी ने इसी जगह पर तपस्या की थी।
तो अगर आप देवभूमि की ओर आ रहे हैं तो इस धरती की दिव्यता और अद्भुत कहानियों को ज़रूर पढ़ कर आएं क्योंकि यहाँ की दिलकश वदियीं में ही आपको आलौकिक तीर्थों और पौराणिक मंदिरों की शृंखला भी कदम कदम पर दिव्य दर्शन के लिए मिलने वाली है।
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