Trekking SOP in Uttarakhand- उत्तरकाशी जनपद में ट्रेकिंग के लिए एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है, इसमें ट्रेकिंग एजेंसियों के वार्षिक ऑडिट का प्रावधान प्रस्तावित है, वार्षिक ऑडिट में योग्य न पाए जाने पर ट्रेकिंग एजेंसी का पंजीकरण निलंबित किया जाएगा।
वहीं, वन विभाग प्रत्येक ट्रेकिंग दल की सामग्री, उपकरण व मेडिकल किट की जांच यात्रा के शुरुआती पड़ाव में करेगा, बीते 3-4 जून को सहस्त्रताल ट्रैक पर अचानक मौसम बदलने से कर्नाटक का 22 सदस्यीय दल हादसे का शिकार हुआ था, इस हादसे में 9 ट्रेकर्स की मौत हो गई थी।
इस हादसे के बाद जिले में ट्रेकिंग के नियम-कायदों पर सवाल उठे, जिसके बाद डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने मुख्य विकास अधिकारी जय किशन की अध्यक्षता में ट्रेकिंग के लिए एसओपी तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया था।
समिति में पर्यटन विभाग, एसडीआरएफ, वन विभाग, निम, गंगा व टौंस घाटी ट्रेकिंग एसोसिएशन के पदाधिकारी शामिल रहे, इस समिति ने एक माह में ट्रेकिंग के लिए आरंभिक ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। 11 पेज के आरंभिक ड्राफ्ट में ट्रेकिंग के लिए कई प्रावधान किए गए हैं।
Trekking SOP in Uttarakhand- तकनीकी उपकरणों की सूची शामिल
Trekking SOP in Uttarakhand- इनमें ट्रैक का दोबारा से वर्गीकरण तथा मानकीकरण करने के साथ ही ट्रेकिंग एजेंसी के लिए मानकों का निर्धारण, एजेंसियों का वर्गीकरण, ट्रेकिंग एजेंसियों के वार्षिक ऑडिट, ट्रेकिंग पर जाने वाले ट्रेकर्स हेतु मानकों का निर्धारण, मध्यस्थ कंपनी व संस्था के लिए मानकों का निर्धारण के साथ ही व्यावसायिक गाइड के लिए आवेदन पत्र, कैंपिंग उपकरण सूची, अधिक ऊंचाई वाले और कम ऊंचाई वाले ट्रैक के लिए सामग्री तथा तकनीकी उपकरणों की सूची शामिल है। इसके अलावा सुरक्षा उपकरणों में मेडिकल किट के साथ मास्क वाली ऑक्सीजन बॉटल्स आदि को शामिल किया गया है।
Trekking SOP in Uttarakhand- ड्राफ्ट में ये हैं प्रस्तावित मुख्य प्रावधान
- सिंगल विंडो सिस्टम के पोर्टल पर ट्रैक पहले तीन वर्गों सरल, मध्यम, कठिन ट्रैक में विभाजित थे, अब इसमें बहुत कठिन ट्रैक नाम से एक नया वर्ग जोड़ा गया है।
- वन विभाग कठिन और बहुत कठिन ट्रैक पर आपातकालीन स्थिति में गुफा व बड़े पत्थर आदि को चिह्नित करेगा।
- वन विभाग कठिन और बहुत कठिन ट्रैक पर चौकियों की स्थापना करेगा।
- एजेंसी दल को ट्रेकिंग कराने से पूर्व ट्रैक की अनिवार्य रूप से रेकी करेगी।
- ट्रेकिंग गतिविधियों वाले ट्रैक की मरम्मत व निगरानी नियमित अंतराल पर की जाएगी।
- प्रत्येक पांच ट्रेकर्स पर एक गाइड अनिवार्य होगा।
- तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचे ट्रैक पर प्रत्येक 500 मीटर पर एक्लेमेटाइजेशन अनिवार्य होगा।
- ट्रेकर्स की अधिकतम आयु 60 वर्ष होगी।
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