Tree Serving its Punishment- विभिन्न अपराधों में गिरफ्तार होने वाले आरोपियों को तबादला करने वाले पुलिस के कार्रवाई का सीना बजाते हुए, एक अनोखा मामला सामने आया है जहां पेशावर के एक पेड़ को ब्रिटिश शासन के अत्याचार के लिए एक प्रतीक माना जा रहा है। यह पेड़, जिसे “गिरफ्तार पेड़” कहा जा रहा है, आज से 125 साल पहले तोरखन बॉर्डर के पास लैंडी कोटाल नामक बस्ती में ब्रिटिश ऑफिसर जेम्स स्क्विड के चलते गिरफ्तार किया गया था।
Tree Serving Punishment- कैसे हुआ था यह गिरफ्तार?
Tree Serving its Punishment for 125 years- कहानी के मुताबिक, जेम्स स्क्विड नामक ब्रिटिश अधिकारी ने एक दिन नशे के हालत में दावा किया कि यह पेड़ उनकी पकड़ में नहीं आ रहा है और बार-बार भाग रहा है। उन्होंने अपने सिपाहियों को इस पेड़ को गिरफ्तार करने का ऑर्डर दिया। सिपाही जेम्स के नशे और बेतुकी गिरफ्तारी के समझ तो रहे थे लेकिन अधिकारी के सामने कुछ बोलने की उनकी हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने पेड़ को गिरफ्तार करने के लिए उसके चारों ओर जंजीरें लगाकर उसे बांध दिया। इसके बाद से यह पेड़ (Tree) जंजीरों में लिपटा हुआ है और गिरफ्तार है।
ब्रिटिश शासन के अत्याचार का प्रतीक
इस पेड़ (Tree) पर लगी तख्ती पर लिखा है ‘I am under arrest’, जो इसकी पूरी कहानी को बताता है। यह पेड़ वह स्थान है जहां ब्रिटिश शासन के दौरान के अत्याचारों का एक जीवंत प्रतीक है।
Tree Serving its Punishment for 125 years- बना हुआ है टूरिस्ट अट्रैक्शन
पेशावर के लोग इस पेड़ को अपने इतिहास का हिस्सा मानते हैं और इसे एक महत्वपूर्ण टूरिस्ट स्थल के रूप में देखते हैं। इस पेड़ (Tree) के आस-पास बनी जंजीरें एक विवादास्पद अतीत को याद दिलाती हैं, जो दरअसल ब्रिटिश शासन के दौरान हुए अत्याचारों की कहानी सुनाती हैं। इस पेड़ ने अब एक बेहतर टूरिस्ट स्थल के रूप में बन चुका है, जो स्थानीय और विदेशी टूरिस्टों को आकर्षित कर रहा है।