Sugarcane Farming- 20 फीट का गन्ना, बीज बदलकर ऐसे मालामाल होने लगे किसान

Sugarcane Farming- वैसे तो पूरे उत्तर प्रदेश में गन्ने की खूब खेती होती है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बिजनौर तो हमेशा से गन्ने की खेती में नया प्रयोग करने के लिए मशहूर है. इस समय यहां गन्ने की खेती में कई किसानों ने नए प्रयोग किए हैं और अब 20 फुट से अधिक लंबाई वाले गन्ने की फसल का उत्पादन शुरू हो गया है

वैसे तो पूरे उत्तर प्रदेश को ही चीनी का कटोरा कहा जाता है. इसकी वजह भी है. यहां गन्ने की खेती खूब होती है और देश में सबसे अधिक चीनी का उत्पादन भी यहीं होता है.पश्चिम उत्तर प्रदेश के बिजनौर, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, शामली,सहारनपुर, मेरठ, हापुड, गाजियाबाद, बुलंदशहर, सम्भल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी आदि जिलों में तो मुख्य फसल ही गन्ना है. यहां गन्ने की फसल आम तौर पर 8 से 10 फुट की होती है, लेकिन बिजनौर जिले के किसानों ने गन्ने में नया प्रयाग शुरू किया है. इससे गन्ने की उपज 20 फीट तक होने लगी है.

Sugarcane Farming- जिले के नांगल, तिसोतरा और गंज इलाके में तो गन्ने की खेती देखकर लोग हैरान हो जाते हैं. इस गांव में रहने वाले किसान मोनवीर सिंह और संदीप तोमर के खेत में फसल अभी तक 15 से 18 फीट तक आ चुकी है. चूंकि फसल अक्टूबर नवंबर तक तैयार होगी, ऐसे में उम्मीद है कि फसल बढ़ कर 20 से 22 फीट तक हो सकती है. इस क्षेत्र में आम तौर पर दस फीट तक के गन्ने के फसल को अच्छा माना जाता है. लेकिन गन्ने की खेती में नए प्रयोग से किसानों की दशा और दिशा दोनों बदलने लगी है.

गंज में रहने वाले चांदपुर विधान सभा क्षेत्र के विधायक स्वामी ओमवेश के केवलानंद फार्म पर भी गन्ने की फसल दस से 15 फीट तक आ चुकी है. उम्मीद है कि अक्टूबर-नवंबर महीने में गन्ने की कटाई होने तक फसल 18-20 फीट तक हो जाएगी. विधायक स्वामी ओमवेश के मुताबिक यह फसल एक बीघे जमीन में करीब 100 से 125 कुंटल तक होने लगी है. इस समय बिजनौर जिले में लगभग ढाई लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती हो रही है. यहां नौ शुगर मिले, तीस केन क्रेशर और सैकडों गुड़ कोल्हू ऑपरेट हो रहे हैं. इनके संचालक किसानों से गन्ने की खरीदारी कर चीनी, सीरा ऐथेनाल, गुड़ बनती है.

Sugarcane Farming- विधायक स्वामी ओमवेश के मुताबिक बीते दो वर्षों से गन्ने की 038 वैरायटी में पोका बोइंग फंगस, रेड रूट डीसीज,और गिंडार,सूडीं आदि लग जा रही है. इससे किसानों की 30 फीसदी तक फसल बर्बाद हो जाती है. इसका सीधा असर चीना उत्पादन पर पड़ रहा है. हालात को देखते हुए काफी किसानों ने बीज बदला है और उसका नतीजा सामने है. इससे किसानों की पैदावार बढ़ी है और इससे कमाई में भी इजाफा हुआ है. इसे देखकर बाकी किसान भी इस बार बीच बदलने पर विचार कर रहे हैं. तिसोतरा गांव के प्रधान रहे कामेंद्र तोमर के मुताबिक उन्नत बीज के साथ गन्ने की खेती में फसल की देखभाल, खाद, दवाई खुदाई और पानी आदि का भी अहम योगदान है

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