Panchayat Chunav 2025- उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर उठते सवाल अब कानूनी अड़चनों में तब्दील हो गए हैं, प्रदेश सरकार द्वारा आरक्षण से जुड़ी गजट अधिसूचना जारी किए बिना चुनाव प्रक्रिया शुरू कर देने पर नैनीताल हाईकोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है, चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी थी, नामांकन की प्रक्रिया 25 जून से शुरू होनी थी और आचार संहिता भी लागू कर दी गई थी लेकिन आरक्षण को लेकर जारी विवादों और आपत्तियों के बीच हाईकोर्ट का यह फैसला सामने आया है।
Panchayat Chunav 2025- आरक्षण प्रक्रिया पर उठे सवाल
पंचायत संगठन से जुड़े संयोजक जगत मार्तोलिया का कहना है कि आरक्षण लागू करने में संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी की गई है। उनके अनुसार, पुराने रोस्टर को रद्द कर नए तरीके से आरक्षण लागू किया गया, जिससे अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने का उद्देश्य बाधित हुआ है वहीं, याचिकाकर्ता मुरारी लाल खंडेवाल ने आरोप लगाया है कि आरक्षण के चक्रीय क्रम को तोड़ा गया है और दोहरी व्यवस्था लागू कर दी गई है उन्होंने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर आज सुनवाई प्रस्तावित है।
Panchayat Chunav 2025- विवादों की कड़ी में एक और अनोखा फैसला
भाकपा (माले) के प्रदेश सचिव इंद्रेश मैखुरी का कहना है कि सरकार ने पहले अफसरों को पंचायतों का प्रशासक नियुक्त किया, फिर अचानक फैसला बदलते हुए निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशासक बना दिया। यह स्थिति भी पहली बार देखने को मिली है,पंचायतीराज सचिव चंद्रेश कुमार ने बयान जारी कर कहा है कि आरक्षण संबंधी गजट अधिसूचना तैयार की जा रही है और जल्द ही न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। इसका उद्देश्य स्थिति को स्पष्ट कर न्यायिक मार्गदर्शन प्राप्त करना है, चुनाव से पूर्व आरक्षण को लेकर जिलाधिकारियों के पास 3000 से अधिक आपत्तियाँ दर्ज हुई थीं। जानकारों का मानना है कि इन आपत्तियों का पर्याप्त और पारदर्शी निस्तारण नहीं हो सका, जो कि विवाद का मुख्य कारण है, विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि न्यायालय चुनाव पर लगी रोक हटाता भी है, तो संभव है कि आरक्षण प्रक्रिया को दोबारा पूरा करना पड़े। इससे चुनाव कार्यक्रम और अधिक विलंबित हो सकता है।
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