Electricity from Air- अब हवा से बनेगी बिजली, खर्च होगा जीरो

 

Electricity from Air- मैसाच्यूट्स एमहर्स्ट विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं की एक टीम ने हवा से बिजली बनाने की एक विधि खोज ली है। इस विधि के जरिए बिना किसी बाधा अथवा प्रदूषण के कम कीमत में लगातार लंबे समय तक बिजली बनाई जा सकेगी। इस विधि को ‘जेनेरिक एयर-जीन प्रभाव’ कहा जा रहा है। रिसर्च के नतीजे Advanced Materials जर्नल में पब्लिश किए गए हैं।

शोध में में शामिल इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में स्नातक छात्र और पेपर के प्रमुख लेखक, शियाओमेंग लियू ने बताया कि हवा में भारी मात्रा में विद्युत होती है। उदाहरण के लिए पानी से भरा एक बादल। पूरा बादल पानी की नन्हीं बूंदों से मिल कर बना होता है। परन्तु ये पानी की ये बूंदें इलेक्ट्रिकली चार्ज होती है और सही सिचुएशन में बादल पर्याप्त मात्रा में विद्युत जनरेट कर सकता है। हालांकि अभी तक हम यह नहीं जानते थे कि किस तरह बादलों से इलेक्ट्रिसिटी बनाई जाए। हालांकि रिसर्च में हमने एक छोटे बादल के जरिए इलेक्ट्रिसिटी प्रोड्यूस करने में सफलता पाई है।

Electricity from Air
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‘जेनेरिक एयर-जीन प्रभाव’ के जरिए बनाई जाएगी हवा से बिजली

वह कहते हैं कि मानव निर्मित इस हवा के बादल से भी एक विशेष सामग्री का प्रयोग कर इलेक्ट्रिसिटी प्रोड्यूस की जा सकती है। इस पूरी विधि को ‘जेनेरिक एयर-जीन प्रभाव’ कहा जाता है। इस बारे में सबसे पहले 2020 में हमें पता चला था कि बैक्टीरियम जिओबैक्टर सल्फ्यूरड्यूसेंस से उगाए गए प्रोटीन नैनोवायरों से बने एक विशेष सामग्री का उपयोग करके हवा से भी इलेक्ट्रिसिटी जनरेट हो सकती है। हालांकि इसके लिए कुछ जरूरी शर्तों की पालना करना अनिवार्य है।

उन्होंने बताया कि रिसर्च के आधार पर एक छोटा इलेक्ट्रिसिटी हार्वेस्टर डिजाईन कर सकते हैं। यह हार्वेस्टर 100 नैनोमीटर (मानव बाल की मोटाई के हजारवें हिस्से से भी बारीक) से छोटे नैनोपोर्स से भरी सामग्री की एक पतली परत से बनाया जाएगा जो पानी के अणुओं को सामग्री के ऊपरी से निचले हिस्से तक जाने देगा। लेकिन क्योंकि प्रत्येक छिद्र इतना छोटा होता है, पानी के अणु पतली परत से गुजरते हुए आसानी से छिद्र के किनारे से टकरा जाते हैं। इसका मतलब यह है कि परत के ऊपरी हिस्से पर निचले हिस्से की तुलना में कई अधिक चार्ज-वाहक पानी के अणुओं के साथ बमबारी की जाएगी, जिससे चार्ज असंतुलन पैदा होगा, जैसा कि एक बादल में होता है। इस तरह एक बैटरी बनेगी जो हवा में नमी का उपयोग कर विद्युत पैदा करेगी।

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