Miss Uttarakhandi Chhaun- उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा और मिट्टी की खुशबू को समर्पित “मिस उत्तराखंडी छौं” पहाड़ी परिधान फैशन शो प्रतियोगिता” ने बुधवार को गोला बाजार में रंग बिखेर दिए।
बैकुंठ चतुर्दशी मेले के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया और नगर निगम की मेयर आरती भंडारी मुख्य आकर्षण रहीं।
दोनों ने पारंपरिक गढ़वाली परिधान में मंच पर पहुंचकर दर्शकों का दिल जीत लिया।
Miss Uttarakhandi Chhaun- डीएम स्वाति भदौरिया बोलीं
“मैं त अपणी संस्कृति बचौंण चली”
कार्यक्रम का शुभारंभ डीएम स्वाति एस. भदौरिया ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया, गढ़वाली भाषा में अपने संबोधन में उन्होंने कहा- “सुण दीदी, सुण भुली, मैं त अपणी संस्कृति बचौंण चली।”
उन्होंने कहा कि यह फैशन शो केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि अपनी लोकसंस्कृति, परंपरा और पहचान को जीवित रखने की एक पहल है, डीएम ने उपस्थित युवाओं से अपील की कि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें और लोक परिधान, लोक भाषा और लोक संगीत को जीवन में अपनाएं।
“स्वाणि नौनी, स्वाणु नौनु, द्वि झणां” प्रतियोगिता के तहत प्रतिभागियों ने पारंपरिक गढ़वाली और कुमाऊंनी परिधानों में शानदार रैंप वॉक की, कार्यक्रम में स्थानीय महिलाएं, युवतियां और विद्यार्थी पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए, रंग-बिरंगे परिधानों, गहनों और लोकगीतों से पूरा परिसर लोकसंस्कृति की सुंदर छटा से भर गया।
कार्यक्रम के दौरान मेयर आरती भंडारी ने अपने पति लखपत भंडारी के साथ मंच पर पहाड़ी गीतों पर ठुमके लगाए, दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया।
मेयर ने कहा- “हमारी पारंपरिक वेशभूषा हमारी पहचान और पूर्वजों की अमूल्य विरासत है। इसे अपनाना हमारे अस्तित्व का सम्मान है।” उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने का बेहतरीन माध्यम हैं।
Miss Uttarakhandi Chhaun- डीएम ने कहा कि पहाड़ी परिधान केवल फैशन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की आत्मा हैं, उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि त्योहारों, पर्वों और विवाह समारोहों में पारंपरिक वेशभूषा धारण करें “हमें केवल परिधान नहीं, बल्कि अपनी लोकभाषा, लोकनृत्य, पहाड़ी खानपान और लोकगायन से भी जुड़ना चाहिए,”
डीएम ने कहा।
उन्होंने प्रतिभागियों की रचनात्मकता और सांस्कृतिक समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन ही उत्तराखंड को ‘संस्कृति के शिखर’ पर ले जाएंगे।
कार्यक्रम के दौरान पूरा गोला बाजार लोकसंस्कृति की झंकार और परिधानों की चमक से सराबोर रहा, लोगों ने पारंपरिक व्यंजन, गीत-संगीत और परिधानों का आनंद लिया, बैकुंठ चतुर्दशी मेले के इस रंगारंग आयोजन ने यह संदेश दिया कि उत्तराखंड की पहचान उसकी संस्कृति में ही बसती है।
Miss Uttarakhandi Chhaun- जिलाधिकारी ने कहा
“यदि हमें अपने राज्य को पहचान दिलानी है तो अपनी संस्कृति को अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा, हर पर्व, उत्सव और समारोह में ‘उत्तराखंडी छौं’ की झलक दिखनी चाहिए।”