IPS Arun Mohan Joshi- जिस उम्र में युवा कुछ बनने का सपना बुनता है उस उम्र में चकराता के जोशी परिवार का अरुण पिता के दिखाए रास्ते पर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था। पहाड़ की यही तो खूबी है कि जूनून यहाँ के लोगों में बेशुमार नज़र आता है तभी तो केवल 23 साल की उम्र में अरुण मोहन के कंधे पर आईपीएस का सितारा चमकने लगा था और वो चकराता का बेटा बन चुका था आईपीएस अरुण मोहन जोशी ….
IPS Arun Mohan Joshi- चकराता के होनहार ने किया कमाल
यही नहीं कामयाबी का ये सिलसिला सालों बाद फिर रिकॉर्ड बना रहा था जब 2024 में नए साल का पहला सूरज उनकी ज़िंदगी में अहम उपलब्धि लेकर आया और आईपीएस अरुण मोहन जोशी (IPS Arun Mohan Joshi) नए साल के पहले दिन देश के सबसे कम उम्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) बन गए । युवा अफसर को इससे भला और बेहतर मौक़ा क्या मिलता जब प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने हाथों से उन्हें आईजी के बैच पहनाए।
अरुण मोहन जोशी (IPS Arun Mohan Joshi) का जन्म उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र के चकराता में एक छोटे से गांव मुंधौल में हुआ था. उन्होंने आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. उनका परिवार मध्यम वर्गीय था. उनके पिता की सरकारी नौकरी थी, जिसके कारण उन्हें बार-बार ट्रांसफर होते रहते थे. उनके तीन भाई और एक बहन हैं, जिनमें से अरुण मोहन जोशी ही आईपीएस बने हैं
IPS Arun Mohan Joshi- पुलिस डिपार्टमेंट में जाने की इच्छा थी
अरुण मोहन जोशी बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही अपने भविष्य का कोई ठोस इरादा नहीं था। उन्हें 9वीं कक्षा तक यह पता नहीं था कि उन्हें आगे क्या करना है। उनके घर का माहौल भी ऐसा नहीं था कि वे अपने लक्ष्यों के बारे में गहराई से सोच सकें। उन्हें धीरे-धीरे अपने रुचि का पता चला और वे आईपीएस ऑफिसर बनने का फैसला किया। उन्होंने इसका श्रेय अपने पिता को दिया है।
IPS Arun Mohan Joshi- मां के देहांत के बाद पिता ने की परवरिश
अरुण मोहन जोशी (IPS Arun Mohan Joshi) बताते हैं कि उनकी मां का देहांत बचपन में ही हो गया था। उन्हें मां का प्यार नहीं मिल सका, लेकिन पिता ने उन्हें हर पल साथ दिया। उनकी एक छोटी बहन भी थी, जो उनकी देखभाल करती थी। वे गांव के एक छोटे से मकान में रहते थे। उनके पिता ने उन्हें हमेशा एक दोस्त की तरह समझा। अरुण मोहन जोशी (IPS Arun Mohan Joshi) कहते हैं कि जब वे आईआईटी रुड़की में पढ़ने गए, तो उन्हें पता चला कि उनके साथी विभिन्न क्षेत्रों में जाना चाहते थे। तब भी उनके पिता ने उन्हें पुलिस में जाने का प्रोत्साहन दिया। उन्होंने पिता की बात मानी और पुलिस डिपार्टमेंट में शामिल हो गए।