गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब की प्रमुख नगरों से दूरी अगर आप गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब के दर्शन करने जाना चाहते हैं तो रुद्रपुर से 54 किमी की दूरी, किच्छा से 40 किमी की दूरी, पंतनगर से 46 किमी की दूरी, हल्द्वानी से 61 किमी की दूरी, बरेली से 97 किमी की दूरी और पीलीभीत से 46 किमी की दूरी आपको तय करनी पड़ेगी। श्रद्धालु बताते हैं कि सिख धर्म के प्रथम गुरु नानक देव जी महाराज जब यहां पहुंचे थे तो यहां पीपल का एक सूखा पेड़ था। गुरु नानक देव जी ने पीपल के पेड़ को हरा-भरा कर दिया। पीपल साहिब के नीचे 24 घंटे जोत जलती रहती है, जिसके दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
Gurudwara Nanakmatta Sahib- दूध का कुआं
श्रद्धालु हरप्रीत सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा साहिब के अन्दर एक दूध वाला कुआं है, जहां मतदाना साहिब जी महाराज को भूख लगी तो सिद्ध योगियों ने दूध देने से मना कर दिया। तब गुरु नानक देव जी महाराज ने एक पूरे कुएं को अपनी शक्ति से दूध से भर दिया था। उन्होंने कहा कि तब से इस कुएं को दूध का कुआं कहा जाता था। दूध वाले कुएं के नाम से यह प्रसिद्ध हो गया।
Gurudwara Nanakmatta Sahib- पीपल के पास में सरोवर भी है
श्री नानकमत्ता गुरु द्वारा के कथा वाचक गुरु सेवक सिंह ने बताया कि यहां गुरु नानक देव जी ने इस भूमि को सिद्ध योगियों से मुक्त कराया था, जहां ये सिद्ध योगी लोगों को अपनी योग शक्तियों से भयभीत करते थे, जिससे जब गुरु नानक देव जी यहां आए, तब उन्होंने इन्हें समझाया, लेकिन वह नहीं माने और अपनी योग शक्ति से पीपल के पेड़ को जमीन से 6 से 7 फीट ऊंचा उठा कर सुखा दिया, जिससे गुरु नानक देव जी ने इसे अपने हाथ के पंजे से रोक कर हराभरा कर दिया। तब से अब तक ये पीपल ऐसा ही हरा भरा है और लोग अपनी मनोकामना मांगते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती हैं।