Ganga Dushera Snan- गंगा दशहरा के पावन अवसर पर हरिद्वार में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। बड़ी संख्या में भक्तों ने हर की पौड़ी सहित विभिन्न घाटों पर गंगा स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। आस्था से भरे इस पर्व पर सुबह से ही घाटों पर भीड़ जुटने लगी, जिससे हरिद्वार-देहरादून हाईवे पर यातायात प्रभावित रहा।
गंगा दशहरा का पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। ऐसा कहा जाता है कि राजा भगीरथ ने कठोर तपस्या कर मां गंगा को पृथ्वी पर लाया था, जिससे उनके पूर्वजों का उद्धार हो सके।
Ganga Dushera Snan- इस वर्ष विशेष ज्योतिषीय संयोग
इस बार गंगा दशहरा पर वर्षों बाद एक विशेष ज्योतिषीय योग बना है। हस्त नक्षत्र, सिद्धि योग और व्यतिपात योग जैसे दुर्लभ संयोगों के साथ यह पर्व और भी अधिक पावन माना गया। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इन योगों में गंगा स्नान, दान, व्रत और तप का कई गुना अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है।
Ganga Dushera Snan- साफ-सफाई और श्रद्धा दोनों जरूरी
गंगा दशहरा के दिन जहां श्रद्धालु पुण्य अर्जित करने घाटों पर उमड़ते हैं, वहीं कुछ असावधानियां पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। विशेषज्ञों ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि स्नान करते समय गंगा में साबुन या कपड़े न धोएं, और प्लास्टिक जैसी अपशिष्ट वस्तुएं नदी में न डालें। इसके बजाय श्रद्धालु मिट्टी के दीपक में शुद्ध घी का दीप जलाकर अर्पित कर सकते हैं, जो परंपरागत और पर्यावरण के अनुकूल तरीका है।
Ganga Dushera Snan- गंगा सिर्फ नदी नहीं, संस्कृति की आत्मा है
गंगा दशहरा भारतीय परंपरा और आस्था का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो न केवल धार्मिक मान्यताओं को दर्शाता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और प्रकृति के प्रति उत्तरदायित्व को भी रेखांकित करता है। मां गंगा को जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी माना जाता है, और इस दिन किया गया स्नान तन-मन को शुद्ध करने वाला माना जाता है।
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