Facts About Kedarnath- क्या आप जानते हैं केदारनाथ का महाभारत कनेक्शन ?

Facts About Kedarnath- केदारनाथ धाम प्राचीन काल से हिन्दू धर्म का पवित्र तीर्थ स्थल रहा है. केदारनाथ निर्माण को जुड़ी बहुत सी पौराणिक कथाएं प्रचलित है जिसमें से एक कथा के अनुसार पांडवों द्वारा केदारनाथ मंदिर का निर्माण करवाया गया था.

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम में भगवान शिव ‘लिंग’ रूप में विराजमान हैं. इस मंदिर के कपाट हर साल अप्रैल और मई माह में खुलते है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के दर्शन करने आते हैं. कहा जाता है कि यहां भगवान शिव द्वारा धारण किए गए भैंसे के रूप के पिछले भाग की पूजा की जाती है.

Facts About Kedarnath- केदारनाथ धाम का पांडवों से संबंध

Facts About Kedarnath-  केदारनाथ धाम का उल्लेख स्कंद पुराण के केदार खंड में मिलता है. जिसके अनुसार, केदार वह स्थान है जहां भगवान शिव अपने उलझे बालों से पवित्र गंगा को मुक्त करते हैं. केदारनाथ मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद पांडवों सभी कौरव भाइयों और अन्य बंधुओं की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थें.

जिसके लिए वह भगवान शिव की खोज में हिमालय की ओर गए. पांडवों को अपनी ओर आता देख भगवान शिव अंतर्ध्यान होकर केदार में जा बसे. पांडवों को जब यह पता चला तो वह भी भगवान शिव के पीछे केदार पर्वत पहुंच गए.

Facts About Kedarnath- भगवान शिव ने धारण किया भैंसे का रूप

जब पांडव भी केदार पर्वत पहुंच गए तब उन्हें देख भगवान शिव ने एक भैंसे का रूप धारण कर लिया और पशुओं के बीच में चले गए. भगवान शिव के दर्शन पाने के लिए पांडवों ने एक योजना बनाई. जिसके बाद भीम ने विशाल रूप धारण कर अपने दोनों पैर केदार पर्वत के दोनों और फैला दिए. सभी पशु भीम के पैरों के बीच से गुजर गए लेकिन भैंसे के रूप में भगवान शिव ने जैसे ही पैरों के नीचे से निकलने की कोशिश की तभी भीम ने उन्हें पहचान लिया.

भगवान शिव को पहचान कर भीम ने भैंसे को पकड़ना चाहा तो वह धरती में समाने लगा. तब भीम ने भैंसे का पिछला भाग कस कर पकड़ लिया. भगवान शिव पांडवों की भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर पाप से मुक्त कर दिया. कहा जाता है कि तभी से भगवान शिव को यहां भैंसे की पीठ की आकृति के रूप में पूजे जाते हैं. मान्यता है कि इस भैंसे का मुख नेपाल में निकला, जहां भगवान शिव की पूजा पशुपतिनाथ के रूप में की जाती है.

Facts About Kedarnath-  नर- नारायण ने की तपस्या

Facts About Kedarnath- पौराणिक कथा के अनुसार हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उनके प्रार्थना अनुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां सदा वास करने का वर प्रदान किया. यह स्थान केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर स्थित है.

आदि शंकराचार्य को केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार का भी श्रेय दिया जाता है. इनकी समाधि मंदिर परिसर के ही पीछे है. मान्यता है कि शंकराचार्य यहां खुद ही धरती में समा गए थे. ये भी मान्यता है कि यहां आदि शंकराचार्य ने अपने अनुयायियों के लिए गर्म पानी का कुंड बनवाया था, ताकि वे सर्द मौसम से खुद का बचाव कर सकें.

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