Education Department- राजकीय शिक्षक संघ लगातार शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से आग्रह कर रहा है कि प्रदेश के इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के पद शत-प्रतिशत पदोन्नति के जरिए भरे जाएं। वहीं, शिक्षा मंत्री स्वयं इस गंभीर स्थिति से अवगत हैं खासकर अपने गृह जनपद पौड़ी में, जहां 186 स्वीकृत पदों में से केवल 20 विद्यालयों में ही प्रधानाचार्य कार्यरत हैं।
प्रदेश के अधिकतर स्कूल “मुखिया विहीन” हो गए हैं, जिससे शिक्षा प्रबंधन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। केवल पौड़ी ही नहीं, टिहरी में 192 में से 26, चमोली में 126 में से 16, पिथौरागढ़ में 128 में से 8, अल्मोड़ा में 166 में से 8, उत्तरकाशी में 75 में से 3 और बागेश्वर में 61 में से सिर्फ 2 प्रधानाचार्य बचे हैं। पूरे राज्य में 1385 स्वीकृत पदों में से केवल 205 पर ही नियमित प्रधानाचार्य तैनात हैं।
Education Department- उत्तराखंड बोर्ड भले ही अपने परीक्षा परिणामों को लेकर संतोष जता रहा हो, लेकिन एनसीईआरटी की राष्ट्रीय परख सर्वेक्षण रिपोर्ट और केंद्र सरकार के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI) में राज्य की स्थिति चिंताजनक है। PGI में राज्य को 1000 में से मात्र 526.3 अंक मिले, जो पिछले वर्ष से भी 11.9 अंक कम है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस गिरावट पर शिक्षा विभाग से स्पष्टीकरण भी मांगा है।
एससी-एसटी शिक्षक संघ ने प्रधानाचार्य भर्ती के लिए परीक्षा प्रणाली को वरिष्ठ शिक्षकों के हितों के खिलाफ बताया है। प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार टम्टा ने कहा कि पूर्व में भारी विरोध के चलते यह परीक्षा रद्द की गई थी, लेकिन अब दोबारा बिना सुझावों पर विचार किए इसे मंजूरी दी जा रही है। पदोन्नति में आरक्षण पर रोक के कारण एससी-एसटी वर्ग का प्रधानाचार्य पदों पर प्रतिनिधित्व लगभग शून्य हो चुका है।
Education Department-राज्य लोक सेवा आयोग से सीधी भर्ती की प्रक्रिया लंबी होती है और इसमें एक साल से अधिक समय लग सकता है। इससे शिक्षकों की पदोन्नति की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी, जबकि मौजूदा समय में विद्यालयों को स्थिर नेतृत्व की सख्त जरूरत है।
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