Earthquake Danger Uttarakhand- उत्तराखंड एक बार फिर गंभीर भूकंपीय खतरे की जद में आ गया है, देशभर के भूवैज्ञानिकों और वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हिमालयी क्षेत्र में खासतौर पर उत्तराखंड में किसी भी समय 7.0 या उससे अधिक तीव्रता का बड़ा भूकंप आ सकता है।
देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी और एफआरआई में हाल ही में हुई वैज्ञानिक बैठकों में इस खतरे पर गंभीर चर्चा हुई, इन बैठकों में “हिमालयन अर्थक्वेक” और “भूकंप जोखिम मूल्यांकन” जैसे विषयों पर गहन मंथन हुआ।
वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ. विनीत गहलोत का कहना है कि उत्तराखंड के अंदरूनी भूभाग में काफी मात्रा में ऊर्जा जमा हो रही है, जिसे भूगर्भीय भाषा में “लॉकिंग ज़ोन” कहा जाता है, टेक्टोनिक प्लेटों की धीमी गति के कारण यह स्थिति बनी हुई है और यदि यह जमा ऊर्जा अचानक बाहर निकली, तो वह भयंकर भूकंप का रूप ले सकती है।
Earthquake Danger Uttarakhand- पिछले 6 महीनों में आए 22 झटके
राज्य में बीते 6 महीनों में 1.8 से 3.6 तीव्रता के 22 भूकंप दर्ज किए जा चुके हैं, ये भूकंप मुख्यतः उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ और बागेश्वर क्षेत्र में महसूस किए गए, वैज्ञानिकों का कहना है कि ये छोटे-छोटे झटके एक बड़े भूकंप की चेतावनी हो सकते हैं।
जानकारों के मुताबिक, एक ही तीव्रता का भूकंप पहाड़ी क्षेत्रों की तुलना में मैदानी इलाकों में अधिक नुकसानदायक होता है, इसका कारण है वहां की ज़मीन की नाजुक और भुरभुरी संरचना। यही वजह है कि देहरादून जैसे शहरों के लिए विशेष सतर्कता की जरूरत है।
भूकंप से निपटने के लिए राज्य के 169 स्थानों पर एडवांस सिस्मिक सेंसर लगाए गए हैं, जो 5.0 तीव्रता से अधिक के भूकंप की स्थिति में 15 से 30 सेकंड पहले अलर्ट दे सकते हैं, यह अलर्ट ‘भूदेव एप’ के जरिए लोगों को सीधे मोबाइल पर भेजा जाएगा, ताकि समय रहते बचाव हो सके।
केंद्र सरकार ने देहरादून समेत कुछ संवेदनशील शहरों में जमीन की मजबूती का अध्ययन करने की योजना बनाई है, यह कार्य सीएसआईआर, बेंगलुरु द्वारा किया जाएगा, जिसमें यह देखा जाएगा कि किस प्रकार की चट्टानें दून की जमीन के नीचे हैं और उनकी मोटाई क्या है।
Earthquake Danger Uttarakhand- विशेषज्ञों की चेतावनी
वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तरकाशी (1991) और चमोली (1999) जैसे बड़े भूकंप के बाद से अब तक कोई बड़ा झटका नहीं आया है, जिससे यह खतरा और भी बढ़ गया है, यह “साइलेंट जोन” कभी भी एक्टिव हो सकता है, इसलिए समय रहते सतर्कता और तैयारी बेहद जरूरी है।
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