Dharali Disaster- जब इंसानी दखल ने कुदरत के कहर को न्योता दिया !

Tharali Disaster- उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में हाल ही में आई भीषण आपदा के पीछे केवल प्राकृतिक कारण नहीं, बल्कि मानवजनित अतिक्रमण भी बड़ी वजह बनकर सामने आया है, दून विश्वविद्यालय के नित्यानंद हिमालयन रिसर्च सेंटर में कार्यरत प्रोफेसर डॉ. डी.डी. चुनियाल ने उपग्रह चित्रों के माध्यम से इस त्रासदी का विश्लेषण किया है।

उनके अनुसार, खीर गंगा नदी पहले धराली गांव के पास ही भागीरथी नदी में मिलती थी, समय-समय पर यह नदी बाढ़ के दौरान फ्लड प्लेन बनाती थी। इन इलाकों में पहले खेती शुरू हुई और फिर धीरे-धीरे वहां घरों, दुकानों और होटलों का निर्माण हो गया, नदी के प्राकृतिक मार्ग में हुए इस मानवीय हस्तक्षेप ने आगे चलकर आपदा को निमंत्रण दिया।

Tharali Disaster- मंगलवार को भारी बारिश के चलते जब ऊपरी इलाकों में बने छोटे-छोटे ताल एकसाथ टूटे, तो तेज बहाव के साथ भारी मलबा और बोल्डर खीर गंगा में आ गए, नदी ने अपना पुराना रास्ता फिर से पकड़ लिया लेकिन उस रास्ते पर अब एक नई बस्ती खड़ी थी, परिणामस्वरूप, नदी ने इस बस्ती को पूरी तरह तबाह कर दिया।

इस त्रासदी में पुराना धराली गांव पूरी तरह सुरक्षित रहा, यह गांव एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है और नदी के फ्लड जोन से बाहर है, विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्वजों ने गांव बसाते समय प्राकृतिक सुरक्षा को ध्यान में रखा था, इसलिए यह इलाका सुरक्षित बचा।

Tharali Disaster- इस विश्लेषण से स्पष्ट है कि यदि नदी के रास्ते से छेड़छाड़ की जाती रही तो भविष्य में और भी गंभीर आपदाएं आ सकती हैं, यह घटना न सिर्फ प्रशासन, बल्कि आम लोगों के लिए भी चेतावनी है कि प्राकृतिक नियमों और भूगोल की सीमाओं का सम्मान करना जरूरी है।

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