Cow Dung Products- Google से सीखा और गोबर से बना दिया सोना…

Cow Dung Products- भारतीय संस्कृति में गाय का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि वह हमारा भरण पोषण करती आई है कई लोग गोबर को रोजगार के साधन के रूप में भी देखते हैं, ऐसी ही कहानी है पवन थापा और उनके परिवार की

दरअसल, देहरादून का यह एक ऐसा परिवार है जो गाय के गोबर से अगरबत्ती, मूर्तियां और मंदिर बनाने का काम करता है, इनके साथ 10 से 12 महिलाएं जुड़ी है जिन्हें रोजगार मिल रहा है

यह लोग सभी मिलकर सालाना 4 से 5 लाख रुपए कमा लेते हैं उनके उत्पाद भारत के अलावा मलेशिया, लंदन जैसे दूसरे देशों में भी निर्यात हो रहा है

Cow Dung Products- बचपन से कुछ क्रिएटिव करने का शौक था

  • Cow Dung Products- पवन थापा ने बताया कि उन्हें बचपन से ही कुछ क्रिएटिव करने का शौक था, गोबर की बात करें तो उनके माता-पिता गोबर के उपले बनाया करते थे तभी से ही वह सोचते थे कि गोबर का उपयोग करके कुछ नया करेंगे
  • वहीं वह टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी में जॉब करते थे लेकिन कोविड के दौरान उनकी नौकरी चली गई फिर पवन थापा ने अपने हुनर को ही अपने रोजगार के रूप में चुना
  • उन्होंने यह तो सोच लिया था कि गोबर से कुछ बनाना है लेकिन कैसे बनाया जाए इसके लिए उन्होंने डेढ़ साल तक रिसर्च किया
  • पवन थापा ने बताया कि गूगल देवता से बहुत कुछ सीखने के लिए मिला, उनके साथ-साथ उनकी पत्नी और बच्चे भी धीरे-धीरे गोबर के दीपक, धूप, अगरबत्ती जैसी चीजों को बनाने लगे.
  • जब लोगों को यह पसंद आने लगी तो उन्होंने कई तरह के आइटम्स और बनाने शुरू कर दिए जिनमें श्री गणेश, भगवान बुद्ध, लक्ष्मी की मूर्तियां, लाफिंग बुद्धा, डोर हैंगिंग्स बनाना शुरू कर दिया
  • आज वह 50 से भी ज्यादा प्रकार के आइटम्स गोबर की मदद से बना देते हैं

Cow Dung Products

Cow Dung Products- स्वदेश कुटुंब स्वयं सहायता समूह की शुरुआत

  • Cow Dung Products- पवन थापा की पत्नी तृप्ति थापा ने बताया कि अपने पति से इस हुनर को सीखने के बाद उन्होंने सोचा क्यों न महिलाओं को इससे जोड़ा जाए इसीलिए उन्होंने स्वदेश कुटुंब स्वयं सहायता समूह की शुरुआत की, उनके समूह को सरकारी लोन मिला और उन्होंने काम करना शुरू कर दिया
  • आज उनसे 10 से 12 महिलाएं जुड़ी हैं, यह सब मिलकर उत्पादों को बनाते हैं और प्रदर्शनियों आदि में बेचते हैं, इससे सालभर में 4 से 5 लाख की आमदनी हो जाती है जिसमें महिलाओं को उनका हिस्सा दे दिया जाता है
  • तृप्ति थापा बताती है कि गोबर से बने यह उत्पाद न सिर्फ उत्तराखंड के लोगों को पसंद आते हैं बल्कि गुजरात, मुंबई और दिल्ली जैसे राज्यों से डिमांड आती है
  • उनका कहना है कि वैसे तो सभी कुछ ठीक चलता है लेकिन सरकार को चाहिए कि स्वयं सहायता समूहों को प्लेटफार्म दे ताकि हमें सिर्फ प्रदर्शनी में काम न मिलकर सालभर हमें खाली हाथ न बैठना पड़े

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