Chardham Yatra- चारधाम यात्रा के दौरान संचालित हेली सेवाओं को लेकर लगातार हादसों की खबरें सामने आ रही हैं, लेकिन इन दुर्घटनाओं के तकनीकी कारणों की जांच को लेकर अब तक कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। विशेषज्ञों और विपक्ष ने सरकार की सतर्कता और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
उत्तरकाशी जिले के गंगनानी में 8 मई को हुए एक दर्दनाक हेलिकॉप्टर हादसे में पायलट समेत छह लोगों की जान चली गई थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे। हालांकि, घटना के एक माह बाद भी सरकार को जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है।
हेलिकॉप्टर हादसों की जांच का जिम्मा नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की संयुक्त विशेषज्ञ टीम पर होता है। लेकिन अब तक की जांच की प्रगति और रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
Chardham Yatra- चारधाम यात्रा के प्रमुख पड़ाव –
केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और हेमकुंड साहिब के लिए जो हेलिकॉप्टर सेवाएं संचालित हैं, उनमें अधिकांश सिंगल इंजन वाले हेलिकॉप्टर उड़ान भरते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सिंगल इंजन हेलिकॉप्टर तकनीकी कारणों, मौसम और वायु दबाव के चलते ज्यादा जोखिम में होते हैं।
इस यात्रा सीज़न में अब तक केदार घाटी में दो, उत्तरकाशी में एक और बदरीनाथ क्षेत्र में उड़ान के दौरान एक हेलिकॉप्टर के अनियंत्रित होने की घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं में अधिकांश सवार सुरक्षित रहे, लेकिन गंगनानी हादसा सबसे घातक रहा।
मुख्यमंत्री धामी ने हाल ही में इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए नागरिक उड्डयन सचिव को निर्देश दिए हैं कि हेलिकॉप्टर हादसों की समग्र समीक्षा के लिए शीघ्र बैठक बुलाई जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय तय किए जाएं।
वहीं, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “एक माह के भीतर चार घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन सरकार का रवैया बेहद लापरवाह है। जांच प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए और रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए नियमों का सख्ती से पालन होना चाहिए।”
Chardham Yatra- रविवार को DGCA की टीम ने केदार घाटी के बड़ासू क्षेत्र में एक आपात लैंडिंग स्थल का निरीक्षण भी किया। इससे साफ है कि घटनाओं के बाद प्रशासन हरकत में जरूर आता है, लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में गंभीर प्रयास अब भी प्रतीक्षित हैं।
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