Uttarkashi: स्यानाचट्टी में झील बनने का खतरा एक बार फिर गहराने लगा है। रविवार सुबह कुपड़ा क्षेत्र से आने वाले गढ़गाड गदेरे से लगातार मलबा और बोल्डर बहकर यमुना नदी में गिर रहे हैं, जिससे नदी का जल प्रवाह बाधित हो गया है। इस कारण यमुना नदी के मुहाने पर दोबारा पानी जमा होना शुरू हो गया है। हालांकि नदी के एक छोर से पानी की निकासी हो रही है, लेकिन खतरा अभी भी पूरी तरह टला नहीं है।नदी किनारे बने कई होटलों के निचले तल में पानी भर गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कुपड़ा खड्ड से लगातार मलबा आने के कारण यमुना का जल प्रवाह रुक-रुक कर बाधित हो रहा है। स्यानाचट्टी निवासी जयपाल सिंह रावत और भगत सिंह राणा ने बताया कि हर पल खतरा बना हुआ है क्योंकि बारिश रुकने के बावजूद गदेरे से मलबा बहना जारी है।राहत कार्य में भी दिक्कतें जारी हैं। सिंचाई विभाग के ईई पन्नी लाल ने बताया कि कुपड़ा खड्ड के मुहाने पर एकत्रित मलबा हटाने के लिए पोकलेन मशीनें लगाई गई हैं।
Uttarkashi: पिछले डेढ़ महीने से तीन पोकलेन मशीनों के जरिए चैनलाइजेशन का काम चल रहा है, लेकिन बड़े बोल्डर हटाने में समय लग रहा है। बीच-बीच में हो रही बारिश से काम में लगातार बाधा आ रही है।स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। प्रशासन ने अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए स्थिति पर लगातार निगरानी शुरू कर दी है। अधिकारी कहते हैं कि नदी किनारे बने होटल और आवासीय क्षेत्रों में पानी की लगातार जांच की जा रही है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रहने की चेतावनी दी गई है।
Uttarkashi: वन और सिंचाई विभाग की टीमों के साथ स्थानीय प्रशासन मिलकर मलबा हटाने, नदी के बहाव को नियंत्रित करने और संभावित नुकसान रोकने के उपाय कर रहा है। हालांकि खतरा अभी भी टला नहीं है और स्यानाचट्टी क्षेत्र में लोगों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता बनी हुई है।