यूं तो दहेज लेना और देना कानूनन अपराध है, लेकिन समाज में आज भी विवाह के दौरान बेटियों को उपहार के तौर दिए जाने वाली सामाग्री दहेज को बढ़ावा देने का काम कर रही है। इसका ही फायदा उठाकर कुछ दहेज के लोभी विवाह के दौरान और बाद में लड़की पक्ष से तरह-तरह की डिमांड करते हैं।
मांग पूरी हुई तो ठीक वरना कुछ लोग बेटियों को प्रताड़ित करने और उनकी जान तक लेने से भी पीछे नहीं हटते हैं। पिथौरागढ़ में बीते तीन वर्षों के दरमियान दहेज हत्या के सात मामले पुलिस तक पहुंचे हैं। हर वर्ष ही यहां औसतन दो बेटियां दहेज के कारण अपनी जान गंवा रहीं हैं। बात अगर वर्ष 2021 की करें तो जहां दहेज हत्या के दो मामले सामने आए।
वहीं 2022 में संख्या बढ़कर तीन हो गई। वर्ष 2023 में भी नवंबर माह तक दहेज हत्या के दो मामले पुलिस तक पहुंचे हैं। कई मामलें तो पुलिस तक पहुंचते भी नहीं। अशिक्षा, लोकलाज और जानकारी के अभाव के कारण पीड़ित परिवार अपनी आवाज सरकारी तंत्र तक नहीं पहुंचा पाते।